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Deccan Lit Fest

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Deccan Literature Festival is annual event by Dakani Adab Foundation at Pune for promotion of Literature, Music,Drama in Hindi,Marathi,Urdu and other languages

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मैं उस गोदी में सर रखकर ज़रा सी देर सोया था...

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किसी ने रख दिए ममता-भरे दो हाथ क्या सर पर
मेरे अंदर कोई बच्चा बिलक कर रोने लगता है

किसी ने रख दिए ममता-भरे दो हाथ क्या सर पर मेरे अंदर कोई बच्चा बिलक कर रोने लगता है
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इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे...

~ इक़बाल अशहर

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मैं देखता हूँ रोज़ रोज़ इस कदर हसीन जिस्म
कहाँ से बनके आ रहे हैं कोई तो पता करे

~ कुशल दौनेरिया

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पारस था वो तुम ने जाना
सब ने जिस को समझा पत्थर

पारस था वो तुम ने जाना सब ने जिस को समझा पत्थर
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मेरी ही सुनते हैं अपनी नहीं कहता कोई
तुमने किन लोगों को महफ़िल में बुला रखा है

~ वसीम बरेलवी

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बात से बात की गहराई चली जाती है 
झूट आ जाए तो सच्चाई चली जाती है

~ शकील आज़मी

बात से बात की गहराई चली जाती है  झूट आ जाए तो सच्चाई चली जाती है ~ शकील आज़मी
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मोती मेरे हाथ लगे
गहराई में उतरे तुम

~ रहमान मुसव्विर

मोती मेरे हाथ लगे गहराई में उतरे तुम ~ रहमान मुसव्विर
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मुफ़्त में दिल तोड़ते हो या फिर इस
काम के मिलते हैं पैसे आपको

~ कुशल दौनेरिया

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वो हाथ पर्दे से बाहर कभी नहीं आते
जो हाथ पर्दा उठाते-गिराते रहते हैं

~ राजेश रेड्डी

वो हाथ पर्दे से बाहर कभी नहीं आते जो हाथ पर्दा उठाते-गिराते रहते हैं ~ राजेश रेड्डी
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उससे कहना जो कहे प्यार में क्या रखा है...

~ वसीम बरेलवी

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तुम ज़माने के हो हमारे सिवा
हम किसी के नहीं तुम्हारे हैं

~ महताब आलम

तुम ज़माने के हो हमारे सिवा हम किसी के नहीं तुम्हारे हैं ~ महताब आलम
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एक ज़रा से हुस्न पर इतनी अकड़
तू समझती क्या है अपने आपको।

~ कुशल दौनेरिया

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चार दिवारी में सिसकी को दफ़नाया
ज़ख्मों का दरबार नहीं कर सकते हैं

~ मोनिका सिंह

चार दिवारी में सिसकी को दफ़नाया ज़ख्मों का दरबार नहीं कर सकते हैं ~ मोनिका सिंह
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दिल किसी का भी दुखने से बचा रखा है
दर्द का नाम मोहब्बत ने दवा रखा है

~ वसीम बरेलवी

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यूँ तो आलम में कोई है ही नहीं तुझ सा मगर
इक मोहब्बत की नज़र ने सबको तुझसा कर दिया

~ मुकेश आलम

यूँ तो आलम में कोई है ही नहीं तुझ सा मगर इक मोहब्बत की नज़र ने सबको तुझसा कर दिया ~ मुकेश आलम
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परेशान है वो झूठा इश्क़ करके
वफ़ा करने की नौबत आ गई है

~ फ़हमी बदायूनी

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पानी से उलझते हुए इंसान का ये शोर
उस पार भी होगा मगर इस पार बहुत है

~ फ़रहत एहसास

पानी से उलझते हुए इंसान का ये शोर उस पार भी होगा मगर इस पार बहुत है ~ फ़रहत एहसास
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मैंने खुद को बड़ी मुश्किल से बचा रखा है
वरना दुनिया तेरा हो जाने में क्या रखा है

~ वसीम बरेलवी

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