#काव्य_कृति✍️
@KavyaKriti_
हिंदी की अनुपम कविताओं, हिंदी गज़लों, नज़्मों को पाठकों तक पहुँचाने वाला अनूठा पटल✍️
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https://lekhni.tumblr.com 04-01-2019 08:07:48
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स्वर्ण-कलश निकल आया री !
सखी, स्वर्ण-कलश नभ पर छाया री!
नर्तन करते, द्रुम-तृण अविरल,
नभ नील सुरभी रस आह्लादित
संवेदन मन में, है रवि नभ में
उज्ज्वल प्रकाश लहराया री !
सखी, स्वर्ण-कलश उग आया री..!!
~ लावण्या शाह
#सुहानी_भोर 🌄 #काव्य_कृति ✍️
lavanya
#लेखनी पर 22 नवम्बर 2023 के कार्यक्रम,
सौजन्य :
{ आरती सिंह 🕊️ } { Narpati C Pareek 🇮🇳 }
👇
lekhni-schedule.blogspot.com/2023/11/22-202…
#लावण्या_शाह
#जन्मदिन 💐 #लेखनी ✍️
lavanya
ओ अदृश्य ‘रंगरेज’ ! बता दे
इतने रंग कहाँ से लाया
नभ से क्षिति तक मंत्रमुग्ध-
करने वाला संसार बसाया !
एक अकेले इंद्रधनुष में-
सात रंग के तार पिरोये
धरती के कण-कण में अनगिन-
छवियों वाले रंग समोये !
#विमल_राजस्थानी
#जन्मजयंती 💐 #लेखनी ✍️
हे महान् ! तव विस्तृत उर से
दृढ़ परिरम्भण की क्षमता दो
तव स्नेहोष्ण हृदय का स्पन्दन
सुन पाने की आकुलता दो!
जिस से विवश रहस्य खोल दे
सत्य कि विद्युत विह्वलता दो
जो तुझ से संघर्ष कर सके
ऐसी उर में कोमलता दो..!!
~ गजानन माधव मुक्तिबोध
#प्रार्थना 🙏
#काव्य_कृति ✍️
और सब सौन्दर्य नश्वर हैं धरा के
अग्नि का सौन्दर्य मुझको खींचता है !
लाल लपटों के निमन्त्रण में लिखा है
-‘‘उर्ध्वगामी एक बस, मेरी शिखा है
जन्म मेरी ओर ही प्रतिक्षण बढ़ा है
ज्ञानियों ने बन्द आँखों से पढ़ा है।’’
#विमल_राजस्थानी (1921-2011)
#जन्मजयंती 💐 #लेखनी ✍️
#लेखनी पर 21 नवम्बर 2023 के कार्यक्रम,
सौजन्य :
{ आरती सिंह 🕊️ } { Narpati C Pareek 🇮🇳 }
👇
lekhni-schedule.blogspot.com/2023/11/21-202…
#विमल_राजस्थानी
#जन्मजयंती 💐 #लेखनी ✍️
सुख मिला :
उसे हम कह न सके।
दुख हुआ:
उसे हम सह न सके।
संस्पर्श बृहत का उतरा सुरसरि-सा :
हम बह न सके ।
यों बीत गया सब : हम मरे नहीं, पर हाय ! कदाचित
जीवित भी हम रह न सके..!!
~ अज्ञेय
#काव्य_कृति ✍️
उसने उगते सूरज को देखा
आसमान में छितरे बादलों के बीच से,
उषा के कँगूरे पर
लाल चुनरिया ओढ़ कर
धीमे-धीमे मुस्कुरा रही थी माँ !
उसने हरे पेड़ को देखा
असंख्य पीले फूलों से लदे
बरस रही थी मादक सुगन्ध,
समय की सलाइयों पर
वसन्त बुन रही थी माँ..!!
~ राजेश्वर वशिष्ठ
#सुहानी_भोर 🌄
हो के मायूस न यूं शाम-से ढलते रहिये
ज़िन्दगी भोर है सूरज-से निकलते रहिये !
एक ही ठांव पे ठहरेंगे तो थक जायेंगे
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये !
शाम को गिरता है तो सुबह संभल जाता है
आप सूरज की तरह गिर के संभलते रहिये !
~ कुंवर बैचेन
#सुहानी_भोर 🌄
#काव्य_कृति ✍️
हो के मायूस न यूं शाम-से ढलते रहिये
ज़िन्दगी भोर है सूरज-से निकलते रहिये !
एक ही ठांव पे ठहरेंगे तो थक जायेंगे
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये !
शाम को गिरता है तो सुबह संभल जाता है
आप सूरज की तरह गिर के संभलते रहिये !
~ कुंवर बैचेन
#सुहानी_भोर 🌄
#काव्य_कृति ✍️