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तहक्षी™ tehxi தக்ஷி

@yajnshri

| Tutor & Researcher of Ancient Sānātān Dhārmā, Itihas, Vedāng, Tāntrā-Jyøtïsh Unsolved Vāidik Mysteries |नमश्चण्डिकायै【࿗】ब्राह्मण 🚩 t.me/yajngurukul

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अगर आपके पास रुद्राक्ष है या नया रुद्राक्ष धारण करने का सोच रहे है तो कृपया #thread 🧵 अवश्य पढ़े 🔹रुद्राक्ष का विभिन्न रोगों में उपयोग ? 🔹विविध व्यवसाय/रोज़गार के हिसाब से कौनसा रुद्राक्ष पहने❓ 🔹 रुद्राक्ष खरीदने से पहले ध्यान देने योग्य बातें❓ 🔹 रुद्राक्ष के बारे

अगर आपके पास रुद्राक्ष है या नया रुद्राक्ष धारण करने का सोच रहे है तो कृपया  #thread 🧵 अवश्य पढ़े 

🔹रुद्राक्ष का विभिन्न रोगों में उपयोग ?

🔹विविध व्यवसाय/रोज़गार के हिसाब से कौनसा रुद्राक्ष पहने❓

🔹 रुद्राक्ष खरीदने से पहले ध्यान देने योग्य बातें❓

🔹 रुद्राक्ष के बारे
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Read Secrets of your जन्मकुंडली by your own #thread 🧵 ब्रह्माण्ड को, कालपुरुष को जिस प्रकार 12 राशियों में बांटा गया है उसी प्रकार काल पुरुष को 12 भावों में भी बांटा गया है। भाव स्थिर है। प्रथम भाव को लग्न (lagan) कहा जाता है। जातक के जन्म के समय पूर्व में जो राशि उदित (rise)

Read Secrets of your जन्मकुंडली by your own
#thread 🧵

ब्रह्माण्ड को, कालपुरुष को जिस प्रकार 12 राशियों में बांटा गया है उसी प्रकार काल पुरुष को 12 भावों में भी बांटा गया है। भाव स्थिर है। प्रथम भाव को लग्न (lagan) कहा जाता है। जातक के जन्म के समय पूर्व में जो राशि उदित (rise)
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घर में अत्यधिक धन एवं शुभ लाभ देने वाला शुभ वास्तु #thread 🧵 1. लक्ष्मी चरण पादुका अपने घर में धन को आमंत्रित करते है , इसे दरवाजे(main door) पर भी स्थापित कर सकते है

घर में अत्यधिक धन एवं शुभ लाभ देने वाला शुभ वास्तु 

#thread 🧵

1. लक्ष्मी चरण पादुका अपने घर में धन को आमंत्रित करते है , इसे दरवाजे(main door) पर भी स्थापित कर सकते है
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संपूर्ण महाभारत कथा के 18 पर्व केवल एक #thread 🧵में Exclusive Mahabharat series महाभारत हमारी संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर है। शास्त्रों में इसे पांचवां वेद भी कहा गया है। इसके रचयिता महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास हैं। महर्षि वेदव्यास ने इस ग्रंथ के बारे में स्वयं कहा है-

संपूर्ण महाभारत कथा के 18 पर्व केवल एक #thread 🧵में 

Exclusive Mahabharat series 

महाभारत हमारी संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर है। शास्त्रों में इसे पांचवां वेद भी कहा गया है। इसके रचयिता महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास हैं। महर्षि वेदव्यास ने इस ग्रंथ के बारे में स्वयं कहा है-
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🧵 कृपया #thread को पूर्ण पढ़े एवं bookmark करले 🔹पितृदोष क्या है? 🔹श्राद्ध कर्म क्या है? 🔹श्राद्ध विधान क्या है ? 🔹श्राद्ध में क्या करे? 🔹श्राद्ध में क्या ना करे? 🔹श्राद्ध कब ना करे ? 🔹श्राद्ध तर्पण का महत्व/काल/अधिकारी कौन है ? 🔹श्राद्ध का ज्योतिष आधार क्या है?

🧵 कृपया  #thread को पूर्ण पढ़े एवं bookmark करले

🔹पितृदोष क्या है? 
🔹श्राद्ध कर्म क्या है? 
🔹श्राद्ध विधान क्या है ? 
🔹श्राद्ध में क्या करे?
🔹श्राद्ध में क्या ना करे? 
🔹श्राद्ध कब ना करे ? 
🔹श्राद्ध तर्पण का महत्व/काल/अधिकारी कौन है ?
🔹श्राद्ध का ज्योतिष आधार क्या है?
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श्राद्ध में क्या करें ? दिवंगत पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर ससत्कार अपने घर या अपनी कुल देवी अथवा कुल देवता के स्थान पर, ब्रह्म देव (ब्राह्मण) को आमन्त्रित करके उन्हें सुस्वादु भोजन कराएं। भोजन कराने के बाद ब्रह्मदेव को वस्त्र, दक्षिणा आदि दान देकर उनका आर्शीवाद ग्रहण करना चाहिए।

श्राद्ध में क्या करें ? 

दिवंगत पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर ससत्कार अपने घर या अपनी कुल देवी अथवा कुल देवता के स्थान पर, ब्रह्म देव (ब्राह्मण) को आमन्त्रित करके उन्हें सुस्वादु भोजन कराएं। भोजन कराने के बाद ब्रह्मदेव को वस्त्र, दक्षिणा आदि दान देकर उनका आर्शीवाद ग्रहण करना चाहिए।
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श्राद्ध कब न करें ? पूर्वजों की मृत्यु के प्रथम वर्ष में श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। पूर्वान्ह में, शुक्ल पक्ष के दौरान, रात्रि के समय और अपने जन्म दिन के असवर पर श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार चतुर्दशी तिथि को भी श्राद्ध नही करना चाहिए। इस तिथि को मृत्यु को

श्राद्ध कब न करें ? 

पूर्वजों की मृत्यु के प्रथम वर्ष में श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। 

पूर्वान्ह में, शुक्ल पक्ष के दौरान, रात्रि के समय और अपने जन्म दिन के असवर पर श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। 

इसी प्रकार चतुर्दशी तिथि को भी श्राद्ध नही करना चाहिए। इस तिथि को मृत्यु को
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श्राद्ध में तर्पण का महत्व श्राद्ध कर्म के समय सबसे पहले पित्तरों को तर्पण दिया जाए। तर्पण के निमित्त एक स्वच्छ थाली या बर्तन में थोडा सा स्वच्छ जल भरकर उसमें थोडा सा कच्चा दूध मिलाया जाता है, फिर उसमें थोडे से काले तिल और जौ के दाने डाले जाते है। इसमें पुष्प की पंखुडियां भी

श्राद्ध में तर्पण का महत्व  

श्राद्ध कर्म के समय सबसे पहले पित्तरों को तर्पण दिया जाए। तर्पण के निमित्त एक स्वच्छ थाली या बर्तन में थोडा सा स्वच्छ जल भरकर उसमें थोडा सा कच्चा दूध मिलाया जाता है, फिर उसमें थोडे से काले तिल और जौ के दाने डाले जाते है। इसमें पुष्प की पंखुडियां भी
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यदि आपके पास कुछ क्षण का समय है तो भक्त “जय माँ तारा” कृपया अवश्य कहे

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हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वह जमीनो में तलवारे पायी गयी।1985 हल्दी घाटी के में मिला ,महाराणा प्रताप अस्त्र शास्त्र की शिक्षा जैमल मेड़तिया ने दी थी जो 8000 राजपूतो को लेकर 60000 से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे, राणा प्रताप

हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वह जमीनो में तलवारे पायी गयी।1985 हल्दी घाटी के में मिला ,महाराणा प्रताप अस्त्र शास्त्र की शिक्षा जैमल मेड़तिया ने दी थी जो 8000 राजपूतो को लेकर 60000 से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे, राणा प्रताप
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राणा का घोडा चेतक भी बहुत शौर्य वाला था उसके मुह के आगे हाथी कि सूंड लगाई जाती थी यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे, देहांत से पहले महाराणा ने खोया हुआ 85% मेवाड़ फिर से जीत लिया था , सोने चांदी और महलो को छोड़ वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे थे , महाराणा प्रताप का वजन 110

राणा का घोडा चेतक भी बहुत शौर्य वाला  था उसके मुह के आगे हाथी कि सूंड लगाई जाती थी यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे, देहांत से पहले महाराणा ने खोया हुआ 85% मेवाड़ फिर से जीत लिया था , सोने चांदी और महलो को छोड़ वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे थे , महाराणा प्रताप का वजन 110