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Dr. Aditi Shukla

@adi_tishukla

रंगां दा ही नां तसवीरां है

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calendar_today08-04-2020 06:46:29

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प्रेम मैं मौसम बदलते रहते हैं, जब तुम्हारी ओर फूल की जगह सूखे पत्ते और पत्थर आने लगें तो तुम सहना चुनना, तुम चुनना निरुत्तर रहना सह लेना वो सब कुछ जब तक बादल ना छट जाएँ, सह लेना इसलिए नहीं की तुम सहनशील हो बल्कि इसलिए कि प्रेम में प्रेम की मासूमियत बची रहे.

प्रेम मैं मौसम बदलते रहते हैं, 
जब तुम्हारी ओर फूल की जगह 
सूखे पत्ते और पत्थर आने लगें 
तो तुम सहना चुनना, 
तुम चुनना निरुत्तर रहना 
सह लेना वो सब कुछ 
जब तक बादल ना छट जाएँ, 
सह लेना
इसलिए नहीं की तुम सहनशील हो 
बल्कि इसलिए कि 
प्रेम में प्रेम की मासूमियत बची रहे.
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किताबों से इतर भी प्रेम कहानी होती है , जिसे ना तो कोई लिख सका है ना कोई पढ़ सका है वो कहानियाँ केवल जी गईं हैं दो प्रेमियों के बीच ।

किताबों से इतर भी 
प्रेम कहानी होती है , 
जिसे ना तो कोई लिख सका है 
ना कोई पढ़ सका है 
वो कहानियाँ केवल जी गईं हैं 
दो प्रेमियों के बीच ।
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एक सौ सोलह चांद की रातें एक तुम्हारे कांधे का तिल गीली मेंहदी कि खुशबू, झुठ-मूठ के शिकवे कुछ झूठ-मूठ के वादे सब याद करा दूँ सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो.. #Gulzar

एक सौ सोलह चांद की रातें एक तुम्हारे कांधे का तिल 
गीली मेंहदी कि खुशबू, झुठ-मूठ के शिकवे कुछ
झूठ-मूठ के वादे सब याद करा दूँ
सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो.. 

#Gulzar
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जो दिल का हाल है वही दिल्ली का हाल है -मलिकज़ादा मंज़ूर अहम #delhi

जो दिल का हाल है वही दिल्ली का हाल है 

-मलिकज़ादा मंज़ूर अहम

#delhi
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कुछ भी हों दिल्ली के कूचे तुझ बिन मुझ को घर काटेगा मुज़फ़्फ़र हनफ़ी #delhi

कुछ भी हों दिल्ली के कूचे 
तुझ बिन मुझ को घर काटेगा 

मुज़फ़्फ़र हनफ़ी

#delhi
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दिल्ली तब ही दिल्ली लग सकेगी जब उसमें तुम्हारी उपस्थिति दर्ज होगी.

दिल्ली तब ही दिल्ली लग सकेगी जब उसमें तुम्हारी उपस्थिति दर्ज होगी.
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मेरी सबसे छोटी कविता तुम्हारा नाम है , और मेरी सबसे लंबी कविता अभी निर्माणाधीन है , मेरा प्रेम तुम्हारे लिए.

मेरी सबसे छोटी कविता
तुम्हारा नाम है , 
और मेरी सबसे लंबी कविता 
अभी निर्माणाधीन है , 
मेरा प्रेम तुम्हारे लिए.
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मैं सारी उम्र करती रही घड़ियों से नफ़रत मुझे तुम्हारा इंतज़ार जो करना था.

मैं सारी उम्र 
करती रही घड़ियों से नफ़रत 
मुझे तुम्हारा इंतज़ार जो करना था.
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तुम्हारा नाम भी मेरे जीवन में वैसे ही लिखा गया होगा जैसे रामसेतु के पत्थरों पर श्रीराम लिखा गया था, ना वो पत्थर कभी डूबे और ना कभी मैं ।

तुम्हारा नाम भी 
मेरे जीवन में वैसे ही लिखा गया होगा 
जैसे रामसेतु के पत्थरों पर
श्रीराम लिखा गया था, 

ना वो पत्थर कभी डूबे 
और ना कभी मैं ।
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मुमकिन है जब मेरी तलाशी ली जाएगी उसमें तुम ही तुम बरामद होगे!

मुमकिन है जब मेरी तलाशी ली जाएगी 
उसमें तुम ही तुम बरामद होगे!
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मुझे अपना कोई नाम दे दो मुझे थोड़ी सी अपनी पहचान दे दो मुझे डर है जब कभी हम टकराएँगे तो मुझे तुम अनजान ना कह दो ..

मुझे अपना कोई नाम दे दो 
मुझे थोड़ी सी अपनी पहचान दे दो 

मुझे डर है जब कभी हम टकराएँगे तो 
मुझे तुम अनजान ना कह दो ..
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तुम शामिल हुए जा रहा हो मेरी नसों में कुछ दिन और फ़िर तुम मेरी रूह पर उग जाओगे , मानो जैसे बंजर ज़मीन पे बरसो बाद एक फूल खिल आया हो.

तुम शामिल हुए जा रहा हो मेरी नसों में
कुछ दिन और फ़िर तुम मेरी रूह पर 
उग जाओगे ,
मानो जैसे बंजर ज़मीन पे बरसो बाद 
एक फूल खिल आया हो.
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कितनी दूरी तय करने पे तुम एकदम क़रीब आ जाओगे ? कितने कदम चलने पे मैं तुममें प्रवेश कर पाऊँगी ?

कितनी दूरी तय करने पे 
तुम एकदम क़रीब आ जाओगे ? 
कितने कदम चलने पे 
मैं तुममें प्रवेश कर पाऊँगी ?
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लखनऊ फिर कभी दिखलाए मुक़द्दर मेरा -वाजिद अली शाह (Throwback to college days)

लखनऊ फिर कभी दिखलाए मुक़द्दर मेरा 

-वाजिद अली शाह

(Throwback to college days)
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एक वक्त के बाद प्रेम में शारीरिक अनुपस्थिति बेमतलब सी हो जाती है.

एक वक्त के बाद प्रेम में शारीरिक अनुपस्थिति बेमतलब सी हो जाती है.
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आमने-सामने बैठना और अग़ल-बग़ल बैठना कितना अलग सा हे, किसी के सामने बैठा ऐसा लगता है मानो उसके विरुद्ध बैठे हों. मैं तुम्हारे बग़ल बैठना चाहती हूँ हमेशा तुम्हारे समर्थन में.

आमने-सामने बैठना 
और अग़ल-बग़ल बैठना कितना अलग सा हे, 
किसी के सामने बैठा ऐसा लगता है मानो उसके विरुद्ध बैठे हों. 

मैं तुम्हारे बग़ल बैठना चाहती हूँ
हमेशा तुम्हारे समर्थन में.
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दूरी सिर्फ़ शहरों के बीच पसर सकती है, मेरे और तुम्हारे बीच प्रेम के सिवा कुछ भी नहीं.

दूरी सिर्फ़ शहरों के बीच पसर सकती है,
मेरे और तुम्हारे बीच प्रेम के सिवा कुछ भी नहीं.
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जिस भाषा की गोद में सर रख कर हम सुस्ता लेते हैं और अर्धनिद्रा में भी ख़ुद को व्यक्त कर लेते हैं वो है हिन्दी. हिन्दी दिवस की बधाइयाँ 🌸

जिस भाषा की गोद में सर रख कर हम सुस्ता लेते हैं और अर्धनिद्रा में भी ख़ुद को व्यक्त कर लेते हैं वो है हिन्दी. 

हिन्दी दिवस की बधाइयाँ 🌸