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@yejivanhaiisjiv

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December 💕💕 Special 💕💕 for me💝

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दिल के दीवार-ओ-दर पे क्या देखा बस तिरा नाम ही लिखा देखा । तेरी आँखों में हम ने क्या देखा कभी क़ातिल कभी ख़ुदा देखा । अपनी सूरत लगी पराई सी जब कभी हम ने आईना देखा । तेरे जाने में और आने में हम ने सदियों का फ़ासला देखा । #सुदर्शन_फ़ाकिर

दिल के दीवार-ओ-दर पे क्या देखा 
बस तिरा नाम ही लिखा देखा ।

तेरी आँखों में हम ने क्या देखा 
कभी क़ातिल कभी ख़ुदा देखा ।

अपनी सूरत लगी पराई सी 
जब कभी हम ने आईना देखा ।

तेरे जाने में और आने में 
हम ने सदियों का फ़ासला देखा ।
#सुदर्शन_फ़ाकिर
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सिर्फ़ तेरा नाम ले कर रह गया आज दीवाना बहुत कुछ कह गया क्या मिरी तक़दीर में मंज़िल नहीं फ़ासला क्यूँ मुस्कुरा कर रह गया ज़िंदगी दुनिया में ऐसा अश्क थी जो ज़रा पलकों पे ठहरा बह गया उस से पूछ ऐ कामयाब-ए-ज़िंदगी जिस का अफ़्साना अधूरा रह गया #वसीम_बरेलवी

सिर्फ़ तेरा नाम ले कर रह गया 
आज दीवाना बहुत कुछ कह गया 

क्या मिरी तक़दीर में मंज़िल नहीं 
फ़ासला क्यूँ मुस्कुरा कर रह गया 

ज़िंदगी दुनिया में ऐसा अश्क थी 
जो ज़रा पलकों पे ठहरा बह गया 

उस से पूछ ऐ कामयाब-ए-ज़िंदगी 
जिस का अफ़्साना अधूरा रह गया 
#वसीम_बरेलवी
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अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया कि एक उम्र चले और घर नहीं आया उस एक ख़्वाब की हसरत में जल बुझीं आँखें वो एक ख़्वाब कि अब तक नज़र नहीं आया अजीब ही था मिरे दौर-ए-गुमरही का रफ़ीक़ बिछड़ गया तो कभी लौट कर नहीं आया #इफ़्तिख़ार_आरिफ़

अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया 
कि एक उम्र चले और घर नहीं आया 

उस एक ख़्वाब की हसरत में जल बुझीं आँखें 
वो एक ख़्वाब कि अब तक नज़र नहीं आया 

अजीब ही था मिरे दौर-ए-गुमरही का रफ़ीक़ 
बिछड़ गया तो कभी लौट कर नहीं आया 

#इफ़्तिख़ार_आरिफ़
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पलकों पे ले के बोझ कहाँ तक फिरा करूँ ऐ ख़्वाब-ए-राएगाँ मैं बता तेरा क्या करूँ वो है ब-ज़िद उसी पे कि मैं इल्तिजा करूँ कुछ तो बता ऐ मेरी अना अब मैं क्या करूँ हर इक वरक़ है तुझ से शुरूअ' इस किताब का तू ही बता कहाँ से मैं अब इब्तिदा करूँ । #जावेद_नसीमी

पलकों पे ले के बोझ कहाँ तक फिरा करूँ 
ऐ ख़्वाब-ए-राएगाँ मैं बता तेरा क्या करूँ 

वो है ब-ज़िद उसी पे कि मैं इल्तिजा करूँ 
कुछ तो बता ऐ मेरी अना अब मैं क्या करूँ

 हर इक वरक़ है तुझ से शुरूअ' इस किताब का 
तू ही बता कहाँ से मैं अब इब्तिदा करूँ ।

#जावेद_नसीमी
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किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है कि ये उदासी हमारे जिस्मों से किस ख़ुशी में लिपट रही है । मैं उस को हर रोज़ बस यही एक झूट सुनने को फ़ोन करता सुनो यहाँ कोई मसअला है तुम्हारी आवाज़ कट रही है। #तहज़ीब_हाफ़ी

किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है 

कि ये उदासी हमारे जिस्मों से किस ख़ुशी में लिपट रही है ।

मैं उस को हर रोज़ बस यही एक झूट सुनने को फ़ोन करता 

सुनो यहाँ कोई मसअला है तुम्हारी आवाज़ कट रही है।

#तहज़ीब_हाफ़ी
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कौन उस राह से गुज़रता है  दिल यूँही इंतिज़ार करता है  देख कर भी न देखने वाले  दिल तुझे देख देख डरता है  ध्यान की सीढ़ियों पे पिछले पहर  कोई चुपके से पाँव धरता है  दिल तो मेरा उदास है 'नासिर'  शहर क्यूँ साएँ साएँ करता है ।  #नासिर_काज़मी

कौन उस राह से गुज़रता है 
दिल यूँही इंतिज़ार करता है 

देख कर भी न देखने वाले 
दिल तुझे देख देख डरता है 

ध्यान की सीढ़ियों पे पिछले पहर 
कोई चुपके से पाँव धरता है 

दिल तो मेरा उदास है 'नासिर' 
शहर क्यूँ साएँ साएँ करता है । 
#नासिर_काज़मी
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#बनस्थली_विद्यापीठ🏠 #रिमझिम_बारिश_के_साथ_स्वतंत्रता_दिवस

#बनस्थली_विद्यापीठ🏠
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चाँद धीरे से मुस्कुराया है चाँद को कौन याद आया है। #अब्दुर्रहमान_मोमिन

चाँद धीरे से मुस्कुराया है

चाँद को कौन याद आया है।
#अब्दुर्रहमान_मोमिन
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इक दीवार पे चाँद टिका था मैं ये समझा तुम बैठे हो। #बशीर_बद्र

इक दीवार पे चाँद टिका था

मैं ये समझा तुम बैठे हो।

#बशीर_बद्र
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अब के तजदीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानाँ याद क्या तुझ को दिलाएँ तिरा पैमाँ जानाँ यूँही मौसम की अदा देख के याद आया है किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसाँ जानाँ दिल ये कहता है कि शायद है फ़सुर्दा तू भी दिल की क्या बात करें दिल तो है नादाँ जानाँ । #अहमद_फ़राज़

अब के तजदीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानाँ 
याद क्या तुझ को दिलाएँ तिरा पैमाँ जानाँ 

यूँही मौसम की अदा देख के याद आया है 
किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसाँ जानाँ 

दिल ये कहता है कि शायद है फ़सुर्दा तू भी 
दिल की क्या बात करें दिल तो है नादाँ जानाँ ।
#अहमद_फ़राज़
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जब रात की तन्हाई दिल बन के धड़कती है यादों के दरीचों में चिलमन सी सरकती है लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए यूँ याद तिरी शब भर सीने में सुलगती है यूँ प्यार नहीं छुपता पलकों के झुकाने से आँखों के लिफ़ाफ़ों में तहरीर चमकती है। #बशीर_बद्र

जब रात की तन्हाई दिल बन के धड़कती है
यादों के दरीचों में चिलमन सी सरकती है

लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
यूँ याद तिरी शब भर सीने में सुलगती है

यूँ प्यार नहीं छुपता पलकों के झुकाने से
आँखों के लिफ़ाफ़ों में तहरीर चमकती है।
#बशीर_बद्र
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जो ग़ैर थे वो इसी बात पर हमारे हुए कि हम से दोस्त बहुत बे-ख़बर हमारे हुए। किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए। बुझा के ताक़ की शमएँ न देख तारों को इसी जुनूँ में तो बर्बाद घर हमारे हुए। #अहमद_फ़राज़

जो ग़ैर थे वो इसी बात पर हमारे हुए

कि हम से दोस्त बहुत बे-ख़बर हमारे हुए।

किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी
बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए।

बुझा के ताक़ की शमएँ न देख तारों को
इसी जुनूँ में तो बर्बाद घर हमारे हुए।
#अहमद_फ़राज़