#काव्य_कृति✍️(@KavyaKriti_) 's Twitter Profileg
#काव्य_कृति✍️

@KavyaKriti_

हिंदी की अनुपम कविताओं, हिंदी गज़लों, नज़्मों को पाठकों तक पहुँचाने वाला अनूठा पटल✍️

ID:1081099863771643906

linkhttps://lekhni.tumblr.com calendar_today04-01-2019 08:07:48

166,9K Tweets

30,2K Followers

269 Following

Follow People
#काव्य_कृति✍️(@KavyaKriti_) 's Twitter Profile Photo

मैंने तुम्हें आँखों की ओट किया
पर क्या भुलाने को ?
मैंने अपने दर्द को सहलाया
पर क्या उसे सुलाने को ?

मेरा हर मर्माहत
साक्षी हुआ कि मैंने अंत तक तुम्हें पुकारा !

~ अज्ञेय
✍️

मैंने तुम्हें आँखों की ओट किया पर क्या भुलाने को ? मैंने अपने दर्द को सहलाया पर क्या उसे सुलाने को ? मेरा हर मर्माहत #उलाहना साक्षी हुआ कि मैंने अंत तक तुम्हें पुकारा ! ~ अज्ञेय #उपालंभ #लेखनी ✍️
account_circle
#काव्य_कृति✍️(@KavyaKriti_) 's Twitter Profile Photo

तरीका अब निराला अपनी का दिखाएँगे,
युगल सरकार की तस्वीर आँखों में खिचाएँगे।

जमाकर लालसा गद्दी, लगाकर भाव का तकिया,
जगाकर ज्योति जप की मन के अंदर में बिठाएँगे।

~ बिंदु जी
✍️

तरीका अब निराला अपनी #सेवा का दिखाएँगे, युगल सरकार की तस्वीर आँखों में खिचाएँगे। जमाकर लालसा गद्दी, लगाकर भाव का तकिया, जगाकर ज्योति जप की मन के अंदर में बिठाएँगे। ~ बिंदु जी #सेवा #लेखनी ✍️
account_circle
#काव्य_कृति✍️(@KavyaKriti_) 's Twitter Profile Photo

मैं टहनी हूँ पारिजात की!
प्रथम-प्रथम मुझको ही चूमे
अरुण किरण स्वर्णिम प्रभात की!

भोला पंछी बात न माने
स्वर्ण-किरण को तिनका जाने
ज्यौं-ज्यौं चंचु खोलकर भागे
पंछी पीछे, किरणें आगे।

चंचु खोल ज्यौं वन-वन लाँघे
एक बूँद के लिये चातकी..!!

~ विमल राजस्थानी
🌄
✍️

मैं टहनी हूँ पारिजात की! प्रथम-प्रथम मुझको ही चूमे अरुण किरण स्वर्णिम प्रभात की! भोला पंछी बात न माने स्वर्ण-किरण को तिनका जाने ज्यौं-ज्यौं चंचु खोलकर भागे पंछी पीछे, किरणें आगे। चंचु खोल ज्यौं वन-वन लाँघे एक बूँद के लिये चातकी..!! ~ विमल राजस्थानी #सुहानी_भोर🌄 #काव्य_कृति✍️
account_circle
#काव्य_कृति✍️(@KavyaKriti_) 's Twitter Profile Photo

के कण कण , जल में ,
पवन में अमृत-जीवन सरसाए !
निज कर्म-लीन तल्लीन हो'
हर प्राणी झूमे नाचे गाए !

ना कोई व्यथित, मन मन प्रमुदित हो,
निकट निकट हर छोर हो !
यह भोर सुहानी भोर हो !!

~ राजेन्द्र स्वर्णकार
🌏 ✍️

#अवनी के कण कण , जल में , पवन में अमृत-जीवन सरसाए ! निज कर्म-लीन तल्लीन हो' हर प्राणी झूमे नाचे गाए ! ना कोई व्यथित, मन मन प्रमुदित हो, निकट निकट हर छोर हो ! यह भोर सुहानी भोर हो !! ~ राजेन्द्र स्वर्णकार #पृथ्वी_दिवस🌏 #लेखनी✍️
account_circle
#काव्य_कृति✍️(@KavyaKriti_) 's Twitter Profile Photo

मैं ने देखी हैं झील में डोलती हुई कमल-कलियाँ,
जब कि जल-तल पर थिरक उठती हैं
छोटी-छोटी लहरियाँ !

ऐसे ही जाती है वह, हर डग से
थरथराती हुई मेरे जग को:
घासों की तरल ओस-बूँदें तक को कर बेसुध
चूम लेती हैं उस के चपल पैरों की तलियाँ..!!

~ अज्ञेय
🌄
✍️

मैं ने देखी हैं झील में डोलती हुई कमल-कलियाँ, जब कि जल-तल पर थिरक उठती हैं छोटी-छोटी लहरियाँ ! ऐसे ही जाती है वह, हर डग से थरथराती हुई मेरे जग को: घासों की तरल ओस-बूँदें तक को कर बेसुध चूम लेती हैं उस के चपल पैरों की तलियाँ..!! ~ अज्ञेय #सुहानी_भोर🌄 #काव्य_कृति✍️
account_circle
आरती सिंह 🕊️(@AarTee33) 's Twitter Profile Photo

अस बरु मागि चरन गहि रहेऊ। एवमस्तु करुनानिधि कहेऊ॥
अब तुम्ह मम अनुसासन मानी। बसहु जाइ सुरपति रजधानी॥

भावार्थ : ऐसा वर माँगकर राजा भगवान के चरण पकड़े रह गए। तब दया के निधान भगवान ने कहा - ऐसा ही हो। अब तुम मेरी आज्ञा मानकर देवराज इंद्र की राजधानी (अमरावती) में जाकर वास करो।

अस बरु मागि चरन गहि रहेऊ। एवमस्तु करुनानिधि कहेऊ॥ अब तुम्ह मम अनुसासन मानी। बसहु जाइ सुरपति रजधानी॥ भावार्थ : ऐसा वर माँगकर राजा भगवान के चरण पकड़े रह गए। तब दया के निधान भगवान ने कहा - ऐसा ही हो। अब तुम मेरी आज्ञा मानकर देवराज इंद्र की राजधानी (अमरावती) में जाकर वास करो।
account_circle
आरती सिंह 🕊️(@AarTee33) 's Twitter Profile Photo

हे मातृभूमि! , , तेरे नाम यथार्थ हैं
क्षमामयी, तू दयामयी है, क्षेममयी है !

हे मातृभूमि! सन्तान हम, तू जननी, तू प्राण है,
जिस में मिले हमारे पूर्वज प्यारे
उससे हे भगवान! कभी हम रहें न न्यारे !

~मैंथिलीशरण गुप्त
_दिवस 🌏
Narpati C Pareek 🇮🇳 लेखनी

हे मातृभूमि! #वसुधा, #धरा, तेरे नाम यथार्थ हैं क्षमामयी, तू दयामयी है, क्षेममयी है ! हे मातृभूमि! सन्तान हम, तू जननी, तू प्राण है, जिस #पृथ्वी में मिले हमारे पूर्वज प्यारे उससे हे भगवान! कभी हम रहें न न्यारे ! ~मैंथिलीशरण गुप्त #पृथ्वी_दिवस 🌏 #लेखनी @pareeknc7 @Lekhni_
account_circle
लेखनी(@Lekhni_) 's Twitter Profile Photo

एक ही हम सब का घर जितना तेरा उतना मेरा,
दुख सुख का ये जंतर-मंतर जितना तेरा उतना मेरा !

~ निदा फ़ाज़ली
🌍 ✍️

एक ही #धरती हम सब का घर जितना तेरा उतना मेरा, दुख सुख का ये जंतर-मंतर जितना तेरा उतना मेरा ! ~ निदा फ़ाज़ली #पृथ्वी_दिवस 🌍 #लेखनी ✍️
account_circle
#काव्य_कृति✍️(@KavyaKriti_) 's Twitter Profile Photo

तरीका अब निराला अपनी का दिखाएँगे,
युगल सरकार की तस्वीर आँखों में खिचाएँगे।

जमाकर लालसा गद्दी, लगाकर भाव का तकिया,
जगाकर ज्योति जप की मन के अंदर में बिठाएँगे।

~ बिंदु जी
✍️

तरीका अब निराला अपनी #सेवा का दिखाएँगे, युगल सरकार की तस्वीर आँखों में खिचाएँगे। जमाकर लालसा गद्दी, लगाकर भाव का तकिया, जगाकर ज्योति जप की मन के अंदर में बिठाएँगे। ~ बिंदु जी #सेवा #लेखनी ✍️
account_circle
#काव्य_कृति✍️(@KavyaKriti_) 's Twitter Profile Photo

मैं टहनी हूँ पारिजात की!
प्रथम-प्रथम मुझको ही चूमे
अरुण किरण स्वर्णिम प्रभात की!

भोला पंछी बात न माने
स्वर्ण-किरण को तिनका जाने
ज्यौं-ज्यौं चंचु खोलकर भागे
पंछी पीछे, किरणें आगे।

चंचु खोल ज्यौं वन-वन लाँघे
एक बूँद के लिये चातकी..!!

~ विमल राजस्थानी
🌄
✍️

मैं टहनी हूँ पारिजात की! प्रथम-प्रथम मुझको ही चूमे अरुण किरण स्वर्णिम प्रभात की! भोला पंछी बात न माने स्वर्ण-किरण को तिनका जाने ज्यौं-ज्यौं चंचु खोलकर भागे पंछी पीछे, किरणें आगे। चंचु खोल ज्यौं वन-वन लाँघे एक बूँद के लिये चातकी..!! ~ विमल राजस्थानी #सुहानी_भोर🌄 #काव्य_कृति✍️
account_circle
आरती सिंह 🕊️(@AarTee33) 's Twitter Profile Photo

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिये।

~ अटल बिहारी वाजपेयी
✍️

account_circle
आरती सिंह 🕊️(@AarTee33) 's Twitter Profile Photo

शब की आवारामिज़ाजी का गिला कौन करे
रोज़ एक सुबह सलीके की तो ले आती है !

~ ध्रुव गुप्त

शब की आवारामिज़ाजी का गिला कौन करे रोज़ एक सुबह सलीके की तो ले आती है ! ~ ध्रुव गुप्त
account_circle
आरती सिंह 🕊️(@AarTee33) 's Twitter Profile Photo

न मंज़िलों से शिकायत न सफ़र का ही ग़िला,
घर से कुछ लोग निकलते हैं रास्ता लेकर !

~ ध्रुव गुप्त

न मंज़िलों से शिकायत न सफ़र का ही ग़िला, घर से कुछ लोग निकलते हैं रास्ता लेकर ! ~ ध्रुव गुप्त
account_circle
आरती सिंह 🕊️(@AarTee33) 's Twitter Profile Photo

सुत बिषइक तव पद रति होऊ। मोहि बड़ मूढ़ कहै किन कोऊ॥
मनि बिनु फनि जिमि जल बिनु मीना। मम जीवन तिमि तुम्हहि अधीना॥

भावार्थ : आपके चरणों में मेरी वैसी ही प्रीति हो जैसी पुत्र के लिए पिता की होती है, चाहे मुझे कोई बड़ा भारी मूर्ख ही क्यों न कहे। जैसे मणि के बिना साँप और जल के बिना

सुत बिषइक तव पद रति होऊ। मोहि बड़ मूढ़ कहै किन कोऊ॥ मनि बिनु फनि जिमि जल बिनु मीना। मम जीवन तिमि तुम्हहि अधीना॥ भावार्थ : आपके चरणों में मेरी वैसी ही प्रीति हो जैसी पुत्र के लिए पिता की होती है, चाहे मुझे कोई बड़ा भारी मूर्ख ही क्यों न कहे। जैसे मणि के बिना साँप और जल के बिना
account_circle
लेखनी(@Lekhni_) 's Twitter Profile Photo

ऐसे संतन की । कर मन ऐसे संतन की सेवा I
शील संतोख सदा उर जिनके, नाम राम को लेवा II

जिनके चरन कमल कूं इच्छत, प्रयाग जमुना रेवा I
सूरदास कर उनकी संग, मिले निरंजन देवा II

~ सूरदास
✍️

ऐसे संतन की #सेवा। कर मन ऐसे संतन की सेवा I शील संतोख सदा उर जिनके, नाम राम को लेवा II जिनके चरन कमल कूं इच्छत, प्रयाग जमुना रेवा I सूरदास कर उनकी संग, मिले निरंजन देवा II ~ सूरदास #सेवा #लेखनी ✍️
account_circle
आरती सिंह 🕊️(@AarTee33) 's Twitter Profile Photo

जो मिठाई में सुधा से है अधिक।
खा सके वह रस भरा मेवा नहीं।
तो भला जग में जिये तो क्या जिये।
की गयी जो जाति की नहीं।

हो न जिसमें जाति हित का रंग कुछ।
बात वह जी में ठनी तो क्या ठनी।
हो सकी जब देश की सेवा नहीं।
तब भला हमसे बनी तो क्या बनी।

~ हरिऔध
✍️
Narpati C Pareek 🇮🇳

जो मिठाई में सुधा से है अधिक। खा सके वह रस भरा मेवा नहीं। तो भला जग में जिये तो क्या जिये। की गयी जो जाति की #सेवा नहीं। हो न जिसमें जाति हित का रंग कुछ। बात वह जी में ठनी तो क्या ठनी। हो सकी जब देश की सेवा नहीं। तब भला हमसे बनी तो क्या बनी। ~ हरिऔध #सेवा #लेखनी ✍️ @pareeknc7
account_circle
#काव्य_कृति✍️(@KavyaKriti_) 's Twitter Profile Photo

मिटती नहीं सुगंध रे ! भले झरें सब फूल
यही सार अस्तित्व का, यही ज्ञान का मूल।

~ गोपालदास 'नीरज'

मिटती नहीं सुगंध रे ! भले झरें सब फूल यही सार अस्तित्व का, यही ज्ञान का मूल। ~ गोपालदास 'नीरज' #दोहा
account_circle
#काव्य_कृति✍️(@KavyaKriti_) 's Twitter Profile Photo

सौ में सत्तर आदमी फिलहाल जब नाशाद है,
दिल पे रखकर हाथ कहिये देश क्या आजाद है।

कोठियों से मुल्क के मेयार को मत आंकिये,
असली हिंदुस्तान तो फुटपाथ पर आबाद है।

••• अदम गोंडवी

सौ में सत्तर आदमी फिलहाल जब नाशाद है, दिल पे रखकर हाथ कहिये देश क्या आजाद है। कोठियों से मुल्क के मेयार को मत आंकिये, असली हिंदुस्तान तो फुटपाथ पर आबाद है। ••• अदम गोंडवी
account_circle
#काव्य_कृति✍️(@KavyaKriti_) 's Twitter Profile Photo

कभी कभी बनता शगुन, अध्ययन का अनुकूल।
मन चंचल बुनता रहे, सपनों भरा दुकूल ।।

~ कल्पना मनोरमा

कभी कभी बनता शगुन, अध्ययन का अनुकूल। मन चंचल बुनता रहे, सपनों भरा दुकूल ।। ~ कल्पना मनोरमा #दोहा
account_circle