#काव्य_कृति✍️
@KavyaKriti_
हिंदी की अनुपम कविताओं, हिंदी गज़लों, नज़्मों को पाठकों तक पहुँचाने वाला अनूठा पटल✍️
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https://lekhni.tumblr.com 04-01-2019 08:07:48
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मैं टहनी हूँ पारिजात की!
प्रथम-प्रथम मुझको ही चूमे
अरुण किरण स्वर्णिम प्रभात की!
भोला पंछी बात न माने
स्वर्ण-किरण को तिनका जाने
ज्यौं-ज्यौं चंचु खोलकर भागे
पंछी पीछे, किरणें आगे।
चंचु खोल ज्यौं वन-वन लाँघे
एक बूँद के लिये चातकी..!!
~ विमल राजस्थानी
#सुहानी_भोर 🌄
#काव्य_कृति ✍️
मैं ने देखी हैं झील में डोलती हुई कमल-कलियाँ,
जब कि जल-तल पर थिरक उठती हैं
छोटी-छोटी लहरियाँ !
ऐसे ही जाती है वह, हर डग से
थरथराती हुई मेरे जग को:
घासों की तरल ओस-बूँदें तक को कर बेसुध
चूम लेती हैं उस के चपल पैरों की तलियाँ..!!
~ अज्ञेय
#सुहानी_भोर 🌄
#काव्य_कृति ✍️
#लेखनी पर 22 अप्रैल 2024 के कार्यक्रम,
सौजन्य :
{ आरती सिंह 🕊️ } { Narpati C Pareek 🇮🇳 }
👇
lekhni-schedule.blogspot.com/2024/04/22-202…
#पृथ्वी_दिवस 🌍 #लेखनी ✍️
मैं टहनी हूँ पारिजात की!
प्रथम-प्रथम मुझको ही चूमे
अरुण किरण स्वर्णिम प्रभात की!
भोला पंछी बात न माने
स्वर्ण-किरण को तिनका जाने
ज्यौं-ज्यौं चंचु खोलकर भागे
पंछी पीछे, किरणें आगे।
चंचु खोल ज्यौं वन-वन लाँघे
एक बूँद के लिये चातकी..!!
~ विमल राजस्थानी
#सुहानी_भोर 🌄
#काव्य_कृति ✍️