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calendar_today13-12-2020 17:44:04

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‘कवि हो तो मत कहो कवि हो छिप कर रहो किसी अपराधी की तरह’ * ‘यह अपने आप बुहर जाता है रेगिस्तान को बुहारा नहीं जाता! * ‘सब कुछ था वहाँ पर सब कुछ सिर्फ़ कविता को छोड़कर !’ (‘रेख़्ते के बीज और अन्य कविताएं’:संग्रह नव कहन,अनूठे भाष्य से विशिष्ट आनंद देनेवाली कविताएं) ~कृष्ण कल्पित✍️

‘कवि हो तो मत कहो कवि हो
छिप कर रहो
किसी अपराधी की तरह’
*
‘यह अपने आप बुहर जाता है
रेगिस्तान को बुहारा नहीं जाता!
*
‘सब कुछ था वहाँ पर सब कुछ
सिर्फ़ कविता को छोड़कर !’

(‘रेख़्ते के बीज और अन्य कविताएं’:संग्रह
नव कहन,अनूठे भाष्य से विशिष्ट आनंद
देनेवाली कविताएं)

~कृष्ण कल्पित✍️