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Monika Singh

@monikasinghpoet

Joint Commissioner, Govt.of Maharashtra, Poet, Author of 3 Ghazal books Lams and Sahar ke Khwab.Baat Baqi Hai, Participated in Nat'l & Int national Lit Fests

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calendar_today27-02-2020 12:17:48

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तूने दस्तक भी दी तू लौट गया
फ़ैसला मैं न कर सकी जानां

~ मोनिका सिंह

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जिन गुनाहों से होती है निस्बत
उनको बस यादगार होना था

ये अजब क़ारोबारे क़िस्मत है
सच-ग़लत का शिकार होना था

जिन गुनाहों से होती है निस्बत उनको बस यादगार होना था ये अजब क़ारोबारे क़िस्मत है सच-ग़लत का शिकार होना था
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तुम भी आ जाओ दिल की बस्ती में
रास्ते बस वहीं तलक जाते

~ मोनिका सिंह

तुम भी आ जाओ दिल की बस्ती में रास्ते बस वहीं तलक जाते ~ मोनिका सिंह
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इश्क़ की रूह खो गई जानां
जिस्म की बात ही न थी जानां

~ मोनिका सिंह

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देर से ना रास आया इश्क़ को करना क़ुबूल
ज़िंदगी हमने अकेले ही गुज़ारी इश्क़ में

~ मोनिका सिंह

देर से ना रास आया इश्क़ को करना क़ुबूल ज़िंदगी हमने अकेले ही गुज़ारी इश्क़ में ~ मोनिका सिंह #monikasinghpoet
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तेरा होना न होने में ये फर्क़ था
जिस्म आगे बढ़ा दिल पुकारा किया

~ मोनिका सिंह

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आप सभी को गुढीपाडवा व हिन्दू नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं...

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सबसे मिलकर भी हम अजनबी से रहे
हमको अपनों ने अक्सर अकेला किया

~ मोनिका सिंह

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सफ़र वैसे सुहाना था, मगर इतना नहीं था
वो था तो हमसफ़र कहने को पर, मेरा नहीं था

~ मोनिका सिंह

सफ़र वैसे सुहाना था, मगर इतना नहीं था वो था तो हमसफ़र कहने को पर, मेरा नहीं था ~ मोनिका सिंह
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बेहद सादा सच्ची तेरी आँखें हैं
इनमें तू हरगिज़ ना आँसू लाया कर

~ मोनिका सिंह

बेहद सादा सच्ची तेरी आँखें हैं इनमें तू हरगिज़ ना आँसू लाया कर ~ मोनिका सिंह
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उसे जाने की जल्दी थी, हमें थी रोकने की
था कैसा वक़्त का टकराव, दिल समझा नहीं था

~ मोनिका सिंह

उसे जाने की जल्दी थी, हमें थी रोकने की था कैसा वक़्त का टकराव, दिल समझा नहीं था ~ मोनिका सिंह
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चाहकर भी जो मुकम्मल ना हुई
वो अधूरी सी कहानी दे मुझे

~ मोनिका सिंह

चाहकर भी जो मुकम्मल ना हुई वो अधूरी सी कहानी दे मुझे ~ मोनिका सिंह
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वक़्त गया जब तुम भी अच्छे लगते थे
वक़्त मेहरबाँ होता कम है समझो ना

~ मोनिका सिंह

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फ़ायदा कुछ नही है मरहम का
तीर को आरपार होना था

~ मोनिका सिंह

फ़ायदा कुछ नही है मरहम का तीर को आरपार होना था ~ मोनिका सिंह
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साथ रहे हम जितने दूरी दूरी थी
इससे ज्यादा नजदीकी तुम चाहो न

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रूठने लग जाए मंज़िल, गम की चादर ओढ़ना मत
रास्तों से प्यार ही करना कभी मुंह मोड़ना मत

जीने भी दो ,जी लो तुम आज़ाद लम्हों की रवानी
बाद में फिर लम्हा लम्हा ज़िंदगी को जोड़ना मत

ऐसे वैसे जाने कैसे होते होते रह गया वो
आरज़ूओं तुम कभी भी साथ मेरा छोड़ना मत

~ मोनिका सिंह

रूठने लग जाए मंज़िल, गम की चादर ओढ़ना मत रास्तों से प्यार ही करना कभी मुंह मोड़ना मत जीने भी दो ,जी लो तुम आज़ाद लम्हों की रवानी बाद में फिर लम्हा लम्हा ज़िंदगी को जोड़ना मत ऐसे वैसे जाने कैसे होते होते रह गया वो आरज़ूओं तुम कभी भी साथ मेरा छोड़ना मत ~ मोनिका सिंह
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हुए पारा पारा तो उसने कहा
मुकम्मल कहानी ज़रूरी नहीं

~ मोनिका सिंह

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सफ़र तन्हा न काटा जाएगा
कोई हमराह सोचा जाएगा

हैं चुपके हम खड़े दीदार को
दरीचा खटखटाया जाएगा

सफ़र तन्हा न काटा जाएगा कोई हमराह सोचा जाएगा हैं चुपके हम खड़े दीदार को दरीचा खटखटाया जाएगा
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