#काव्य_कृति✍️
@KavyaKriti_
हिंदी की अनुपम कविताओं, हिंदी गज़लों, नज़्मों को पाठकों तक पहुँचाने वाला अनूठा पटल✍️
04-01-2019 08:07:48
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सुंदर प्रभात का स्वागत, पक्षी गण ये कर रहे
रही कोयल कूक बागों में, भौंरे ये मस्त तान गुंजा रहे।
स्वर निकले जो पक्षी-कंठ से, मधुर वे मन को हर रहे;
तू भी हे मानव, जीवन रूपी गगन का पक्षी बन जा!
भोर भई मनुज, अब तो तू उठ जा!
~ विजय कुमार सप्पत्ति
#सुहानी_भोर 🌄
#काव्य_कृति ✍️