Kitabganj
@Kitabganj1
कहीं नहीं,
तो
कविताओं में ही सही-
कुछ असंभव
पर-
घटता रहे ।।
ID:1052586163318341633
17-10-2018 15:44:32
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वो कहानियाँ जिन्हें समाज
नहीं स्वीकार पाया,
कपड़े बदल
कविताएँ बन निकलती हैं।
शाम ढले निकलती हैं,
अंधेरे में पहचानी न जातीं-
वो अक्सर नाम बदल निकलतीं हैं।।
(फ़ोटो : Close Up,1990)
#पुरानीKavita