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Kitabganj

@Kitabganj1

कहीं नहीं,
तो
कविताओं में ही सही-

कुछ असंभव
पर-
घटता रहे ।।

calendar_today17-10-2018 15:44:32

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प्रेम हम ढूंढते हैं
क्योंकि सिर्फ़
प्रेम ही
हमें फिर से
बच्चा बन जाने की
छूट देता है।

वास्तव में
हम बचपन तलाशती हुई
एक सभ्यता हैं
जो उसे प्रेम के नाम से बुलाती है।।

(फ़ोटो: मासूम, 1983)

प्रेम हम ढूंढते हैं क्योंकि सिर्फ़ प्रेम ही हमें फिर से बच्चा बन जाने की छूट देता है। वास्तव में हम बचपन तलाशती हुई एक सभ्यता हैं जो उसे प्रेम के नाम से बुलाती है।। (फ़ोटो: मासूम, 1983)
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