Rishi Prasad
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The largest circulated spiritual monthly magazine around the world । Available in multiple languages । 10 millions+ readers । Inspired by @asharamjibapu_
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http://rishiprasad.org 28-07-2009 18:07:06
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भाग्य की रेखा बदल जाएगी...
पूज्यश्री कहते हैं : देशी गाय की चरणरज (गौ धूलि) का तिलक करने से भाग्य की रेखाएँ बदल जाती हैं ।
ऐसी अनेकों कुंजी मिलेंगी आपको #ऋषिप्रसाद मासिक पत्रिका में !
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#AsharamjiBapuQuotes
श्री हनुमान जयंती-23 अप्रैल
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम ।
अर्थात् रामजी का कार्य पूर्ण किये बिना मेरे लिए विश्राम कहाँ !
इसी तरह अपने साध्य को पाये बिना साधक को विराम वर्जित है।
साधना को बीच में रोका तो साधक कैसा ?
#AsharamjiBapuQuotes
वैशाख स्नान आरम्भ
( 23 अप्रैल से 23 मई )
देवर्षि नारदजी राजा अम्बरीष से कहते हैं : राजन् ! जो #वैशाख में सूर्योदय से पहले भगवत्-चिंतन करते हुए जो पुण्यस्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरंतर प्रीति करते हैं।
पाप तभी तक गरजते हैं, जब तक जीव यह #पुण्यस्नान नहीं करता।
#AsharamjiBapu
महावीर स्वामी जयंती : 21 अप्रैल
जिनके हृदय में परहित की भावना है और जो सत्य के रास्ते चलते हैं, उनके आगे कितनी भी दुःख मुसीबतों की आँधियाँ आयें फिर भी वे उन्हें डिगा नहीं सकतीं।
नवम्बर-2014, अंक-263, पेज-17
#AsharamjiBapu #Magazine
#ऋषिप्रसाद
परेशानी का कारण
जो ईश्वर है, परमात्मा है, वह तुमको परेशान नहीं करना चाहता है ।
तुम यदि परेशान हो तो अपनी कल्पनाओं के कारण हो, नासमझी के कारण हो, कुसंग के कारण हो । -पूज्य बापूजी
सितंबर 2017, अंक 297, पेज 27
#AsharamjiBapu
#LifeChangingQuotes
#RishiPrasad
उसके काम हो जाते हैं….
जो वाह-वाह सोचता है, धन्यवाद सोचता है, 'कर लूँगा, हो जायेगा.... हो जायेगा' ऐसा सोचता है, निराशा हताशा की बातें नहीं सोचता, उसके काम हो जाते हैं। -पूज्य बापूजी
फरवरी 2011, अंक 218, पेज 22
#AsharamjiBapuQuotes
#RishiPrasad
#Magazine
रविवारी सप्तमी -14 अप्रैल
(यह तिथि सूर्यग्रहण के बराबर मानी गई है |)
(दोपहर 11:43 से 15 अप्रैल सूर्योदय तक)
अपने कमरे की दीवाल पर 1 वाक्य लिख देना चाहिए कि 'गुरुमंत्र का मानसिक जप चल रहा है न ?' चलते-फिरते, उठते-बैठते, खाते-पीते, सोते- जगते जप करते रहना चाहिए ।
#AsharamjiBapu
सर्वांग-संयमी कैसे बनें ?
हमको शक्ति एवं सरलता के लिए सर्वांग संयमी होना चाहिए ।
आज्ञाचक्र में ॐकार या सद्गुरु का ध्यान करने से पाँचों इन्द्रियों को संयत करने में तेजी से मदद मिलती है ।
(सितंबर 2017 , अंक 297 , पेज 17)
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